Shiv Aarti: भक्ति और ध्यान की अद्वितीय शक्ति | Shiv Aarti lyrics in hindi

Last updated on July 28th, 2023 at 11:42 pm

भारतीय संस्कृति में भगवान शिव का विशेष महत्व है। शिव भगवान को हिंदू धर्म के मुख्य देवताओं में से एक माना जाता है और उनकी पूजा विधान बहुत महत्वपूर्ण है। शिव आरती एक प्रमुख पूजा विधान है जिसके माध्यम से भक्त शिव भगवान की आराधना करते हैं और उनके समीप आने का अनुभव करते हैं। इस लेख में, हम शिव आरती के बारे में विस्तार से जानेंगे और इसके महत्व को समझेंगे।

Table of Contents

Shiv Aarti का महत्व

शिव आरती हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा करने का एक महत्वपूर्ण विधान है। इस आरती को पठने से भक्त शिव भगवान के निकटतम आनंद का अनुभव करते हैं और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करते हैं। शिव आरती का महत्व निम्नलिखित है:

  1. भक्ति का साधन: शिव आरती को पठने से भक्ति की भावना व संकल्प मजबूत होती है। यह आरती भक्त को शिव भगवान के प्रति अपार प्रेम और श्रद्धा का अनुभव कराती है।
  2. ध्यान की प्राप्ति: शिव आरती को पठने से मन शुद्ध होता है और ध्यान की स्थिति में आता है। यह आरती भक्त को चित्त को स्थिर और निरंतर ध्यान में लगाने की क्षमता प्रदान करती है।
  3. अभिष्ट प्राप्ति का साधन: शिव आरती को पठने से भक्त की मनोकामनाएं पूर्ण होने की कामना सामर्थ्य बढ़ता है। यह आरती भक्त को अभिष्ट प्राप्ति के लिए अपनी इच्छाओं को प्रकट करने का अवसर देती है।
  4. पापों का नाश: शिव आरती को नियमित रूप से पठने से भक्त के पापों का नाश होता है। यह आरती भक्त को अपने जीवन से दुष्टता, अधर्म और पापों को दूर करने की शक्ति प्रदान करती है।
  5. शांति और समृद्धि का साधन: शिव आरती को पठने से भक्त को मानसिक शांति और आंतरिक समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह आरती भक्त को चिंताओं, तनाव और संशयों से मुक्त करने का मार्ग दर्शाती है।

शिव आरती का पाठ करने से भक्त को शिव भगवान के प्रति गहरी भक्ति, शांति, आनंद और समृद्धि का अनुभव होता है। यह आरती भक्त को धार्मिक और आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर रहने में सहायता करती है।

Shiv Chalisa

आरती क्या होती है?

आरती एक प्रकार की पूजा विधि है जो ईश्वरीय देवता के समक्ष प्रदर्शित की जाती है। इस पूजा में विशेष आरती गाने की प्रथा होती है जिसमें प्रशंसागान और आदर के भाव व्यक्त होते हैं। यह पूजा विधि भक्ति और आदर का प्रतीक होती है और देवी-देवता के समक्ष भक्त की पूर्ण समर्पण दर्शाती है।

शिव आरती की विशेषताएँ

  • शिव आरती एक प्रमुख पूजा विधि है जो भगवान शिव के समक्ष प्रस्तुत की जाती है। यह आरती गाने में भक्तों का भागीदारी और शिव भगवान की महिमा का गुणगान करने का एक माध्यम है।
  • शिव आरती के पठन से भक्त को आध्यात्मिक संबंधों का अनुभव होता है और उनके मन में शांति एवं समृद्धि की भावना उत्पन्न होती है।
  • शिव आरती गाने के द्वारा भक्त अपनी मन की उच्चाईयों को प्रकट करते हैं और देवता के समक्ष अपनी आराधना का प्रदर्शन करते हैं।

शिव आरती के पाठ का महत्व

शिव आरती का पाठ करने से शिव भगवान के प्रति भक्ति और श्रद्धा का विकास होता है। यह पूजा विधि भक्त को शांति और आनंद की अनुभूति कराती है और उनकी आत्मा को पवित्र और प्रकाशमय बनाती है। शिव आरती के पाठ से मन को स्थिर रखने की क्षमता मिलती है और आध्यात्मिक सुधार होता है। यह प्रतिदिन किया जाने वाला आदत भक्त को शिव भगवान के साथ गहरी संबंध स्थापित करने में मदद करती है।

शिव आरती के लाभ

  • शिव आरती का पाठ करने से भक्त को मानसिक शांति और सुख का अनुभव होता है। यह आरती भक्त को तनाव, चिंता और संशयों से मुक्त करने में सहायता करती है।
  • शिव आरती के पाठ से भक्त को शिव भगवान के आशीर्वाद मिलते हैं और उनके जीवन में सुख, समृद्धि, और सम्पन्नता की प्राप्ति होती है।
  • शिव आरती को पठने से भक्त के पापों का नाश होता है और उनका मानसिक और आध्यात्मिक सुधार होता है।
  • शिव आरती का पाठ करने से भक्त की आराधना और उनके ईश्वरीय सम्पर्क में मजबूती आती है।
  • शिव आरती को पठने से भक्त को आध्यात्मिक ज्ञान, आनंद, और मुक्ति की प्राप्ति होती है।

शिव आरती का पाठ करने से भक्त को शिव भगवान के प्रति गहरी भक्ति, शांति, आनंद, और समृद्धि का अनुभव होता है। यह आरती भक्त को धार्मिक और आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर रहने में सहायता करती है।

शिव आरती के पाठ विधान

शिव आरती को पठने के लिए निम्नलिखित पाठ विधान का पालन करें:

  1. सबसे पहले, एक सुचना कक्षा या मंदिर में बैठें जो शिव भगवान के प्रतिमा या मूर्ति के समीप स्थापित हो।
  2. अपने मन को शांत करें और शिव भगवान की ओर ध्यान केंद्रित करें।
  3. आरती की थाली को ले लें। थाली में दीपक, पुष्प, धूप, आरती की मधु, और पूजा के आवश्यक सामग्री शामिल होनी चाहिए।
  4. आरती की थाली को बाएं हाथ में लें और उद्घाटन मंत्र का जाप करें।
  5. फिर से मन को शांत करें और आरती की गान करने के लिए प्रारंभ करें। आरती के गान के दौरान थाली को घुमाएं और दीपक को चकाचकाएं।
  6. गान के अंत में आरती के बोलों का पाठ करें और दीपक को देवी-देवता के समक्ष फेर दें।
  7. आरती के बाद, प्रशाद को शिव भगवान को समर्पित करें और उसे अपने आप खाएं या दूसरों को दें।

शिव आरती का पाठ करने से पहले, आपको ध्यान रखना चाहिए कि यह शुद्ध मन और शुद्ध हृदय से किया

शिव आरती के लिए सामग्री:

  • आरती की थाली
  • दीपक
  • पुष्प (फूल)
  • धूप
  • आरती की मधु (केसर, चावल, दूध, घी और मिश्रण)
  • गाय के दूध से बनी दही (प्रशाद)

शिव आरती के पाठ की विधि:

  1. शिव आरती का पाठ करने के लिए शुद्ध और साफ रहें।
  2. शिव आरती का पाठ स्थान और समय के अनुसार करें, जैसे शाम के समय या भक्ति स्थल पर।
  3. आरती की थाली को लें और उसमें दीपक और पुष्प सजाएं।
  4. धूप जलाएं और धूप की लहरों को देवी-देवता के आगे घुमाएं।
  5. शिव आरती के गीत का पाठ करें, अपने हाथों में थाली को घुमाएं और दीपक को चकाएं।
  6. आरती के बोलों का पाठ करें और दीपक को देवी-देवता के समक्ष फेरें।
  7. आरती के बाद, प्रशाद को देवी-देवता को समर्पित करें और उसे सभी भक्तों को बांटें।

शिव आरती के मंत्र और उनका महत्व:

  • “ॐ जय शिव ओंकारा” – इस मंत्र का जाप करने से शिव भगवान की कृपा प्राप्त होती है और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख और शांति मिलती है।
  • “ब्रह्मा मुरारि सुरार्चित लिंगम्” – इस मंत्र के जाप से भक्त की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उन्हें आध्यात्मिक उन्नति मिलती है।
  • “ओम त्रियम्बकं यजामहे, सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्” – यह मंत्र शिव भगवान की पूजा का अभिन्न अंग है और उसके जाप से भक्त को स्वास्थ्य, ऐश्वर्य, और सुख-शांति प्राप्त होती है।

शिव आरती का समय और स्थान:

  • शिव आरती का समय सायंकालीन होता है, यानी सूर्यास्त के बाद की आधी रात से पहले।
  • शिव आरती को मंदिरों में या शिवलिंग के समीप आरती स्थलों में पाठ किया जाता है।

शिव आरती के महत्वपूर्ण मंत्र

शिव आरती के पाठ में निम्नलिखित मंत्रों का महत्व बहुत अधिक होता है:

  1. ॐ जय शिव ओंकारा – यह मंत्र शिव भगवान के महानतम मंत्रों में से एक है। इसका जाप करने से भक्त को शिव भगवान की कृपा मिलती है और उनके आशीर्वाद से उनके जीवन में समृद्धि, शांति और सुख की प्राप्ति होती है।
  2. कैलाश के निवासी – यह मंत्र शिव भगवान के भक्ति में समर्पित होता है और उनके आत्मिक गहनता को दर्शाता है। इसका जाप करने से भक्त को शिव भगवान की अनुभूति और उनके समीप स्थिति का आनंद मिलता है।
  3. जटाधारी गंगाधारी – यह मंत्र शिव भगवान की महिमा को व्यक्त करता है। इसका जाप करने से भक्त को शिव भगवान के गुणों की प्राप्ति होती है और उनके समृद्ध विश्वास को मजबूती मिलती है।
  4. त्रियम्बकं यजामहे – यह मंत्र शिव भगवान की महिमा का वर्णन करता है और उनके ध्यान में रहने की अपेक्षा व्यक्त करता है। इसका जाप करने से भक्त को शिव भगवान की कृपा, बुद्धि, और सामर्थ्य की प्राप्ति होती है।
  5. महादेवा – यह मंत्र शिव भगवान के सर्वोच्चतम और सर्वशक्तिशाली स्वरूप को दर्शाता है। इसका जाप करने से भक्त को शिव भगवान की आनंदमय और उदार स्वभाव की अनुभूति होती है।

इन महत्वपूर्ण मंत्रों को नियमित रूप से शिव आरती के पाठ के समय जाप करने से भक्त को शिव भगवान की कृपा, आशीर्वाद और आनंद की प्राप्ति होती है।

ॐ नमः शिवाय

यह मंत्र शिव भगवान के प्रणाम का प्रतीक है। इसका जाप करने से भक्त को शिव भगवान की कृपा, आशीर्वाद और ध्यान की प्राप्ति होती है।

कर्पूरगौरं करुणावतारं

यह मंत्र शिव भगवान के सुंदर स्वरूप का वर्णन करता है। इसका जाप करने से भक्त को शिव भगवान की स्पष्ट दर्शन, सुंदरता और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

नीलकण्ठाय विद्महे नीतिकन्धाय धीमहि

यह मंत्र शिव भगवान के विशेष स्वरूप का वर्णन करता है और उनके ध्यान में रहने की प्रार्थना करता है। इसका जाप करने से भक्त को शिव भगवान की प्रासादिकता, नीतिमयता और ध्यान की प्राप्ति होती है।

ॐ जय शिव ओंकारा

यह मंत्र शिव भगवान की महिमा का गुणानुवाद करता है। इसका जाप करने से भक्त को शिव भगवान की प्रशंसा, उद्धारण और समर्पण की प्राप्ति होती है।

शिवा शंकरा हे जय गिरिजापति

यह मंत्र शिव भगवान के समर्पण का वर्णन करता है और उनकी प्रशंसा करता है। इसका जाप करने से भक्त को शिव भगवान की कृपा, आशीर्वाद और सम्पूर्णता की प्राप्ति होती है।

इन महत्वपूर्ण मंत्रों को नियमित रूप से शिव आरती के पाठ के समय जाप करने से भक्त को शिव भगवान की कृपा, आशीर्वाद और ध्यान की प्राप्ति होती है।

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शिव आरती के महत्वपूर्ण लाभ

शिव आरती का पाठ करने के अनेकों महत्वपूर्ण लाभ होते हैं। यहां कुछ प्रमुख लाभ दिए गए हैं:

  1. मन की शांति: शिव आरती का पाठ करने से मन की शांति और स्थिरता मिलती है। शिव भगवान की प्रसन्नता से आत्मिक तन्द्रा और चिंता दूर होती है।
  2. समृद्धि और अभिवृद्धि: शिव आरती का पाठ करने से आर्थिक समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है। भक्त के जीवन में बाधाएं दूर होती हैं और उन्हें अच्छे व्यवसायिक और नौकरीक अवसर मिलते हैं।
  3. आत्मिक उन्नति: शिव आरती का पाठ करने से आत्मिक उन्नति होती है। भक्त की आध्यात्मिक जागरण होती है और उनका अध्यात्मिक अनुभव गहन होता है।
  4. शारीरिक स्वास्थ्य: शिव आरती का पाठ करने से शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। भक्त को उच्च ऊर्जा का आभास होता है और उनके शरीर में ताजगी और उत्साह का आगमन होता है।
  5. भक्ति और आदर्श जीवन: शिव आरती का पाठ करने से भक्त का भक्ति और आदर्श जीवन में सुधार होता है। वे शिव भगवान के प्रतीक बनते हैं और उनके आदर्शों के अनुसार जीने का प्रयास करते हैं।
  6. कर्म सुधार: शिव आरती का पाठ करने से कर्म सुधार होता है। भक्त के अच्छे कर्मों की प्रोत्साहना होती है और उन्हें गलत कर्मों से बचने की प्रेरणा मिलती है।
  7. मनोरंजन और मनोविज्ञान: शिव आरती का पाठ करने से मनोरंजन और मनोविज्ञान में सुधार होता है। भक्त को आनंद और प्रसन्नता की अनुभूति होती है और उनका मन शांत, स्थिर और प्रशांत होता है।

शिव आरती के पाठ करने से भक्त को ये अनेकों लाभ प्राप्त होते हैं। यह पाठ उनके जीवन में सुख, समृद्धि, शांति और आनंद का स्रोत बनता है।

मानसिक शांति का साधन

शिव आरती का पाठ करने से मन की शांति की प्राप्ति होती है। यह प्रयास भक्त के मन को स्थिर करता है, चिंताओं और तनाव को दूर करता है और मानसिक तन्द्रा को बढ़ाता है। शिव आरती के पाठ के द्वारा भक्त को मानसिक शांति की अनुभूति होती है और वह स्थिरता के साथ जीवन के चुनौतियों का सामना कर सकता है।

शिव भक्ति की वृद्धि

शिव आरती का पाठ करने से भक्ति में वृद्धि होती है। भक्त का मन पूर्णतः शिव भगवान की ओर आकर्षित होता है और उन्हें अपने जीवन का महत्वपूर्ण अंश मानता है। शिव आरती का पाठ करने से भक्त की अधिक श्रद्धा, आस्था और प्रेम की वृद्धि होती है, जो उन्हें शिव भक्ति में सुधार करती है।

आत्मिक संयम और ध्यान की प्राप्ति

शिव आरती का पाठ करने से भक्त को आत्मिक संयम और ध्यान की प्राप्ति होती है। इस पाठ के द्वारा भक्त को आत्म-नियंत्रण की प्राप्ति होती है, जिससे उन्हें अपने मन को वश में करने की क्षमता मिलती है। शिव आरती के पाठ से भक्त का ध्यान एकाग्र होता है और वे आत्मिक उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ सकते हैं।

अभीष्ट प्राप्ति का साधन

शिव आरती का पाठ करने से अभीष्ट प्राप्ति का साधन होता है। भक्त की इच्छाओं, आकांक्षाओं और मनोकामनाओं की प्राप्ति के लिए शिव आरती का पाठ करना महत्वपूर्ण है। शिव भगवान की कृपा से भक्त की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उन्हें संतुष्टि की अनुभूति होती है। शिव आरती का पाठ करने से भक्त अपने अभीष्टों की प्राप्ति के लिए शिव भगवान की आराधना करते हैं।

शिव आरती से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या शिव आरती रोज़ाना की जानी चाहिए?

हाँ, शिव आरती को रोज़ाना की जा सकती है। यह एक उत्कृष्ट आदर्श है और शिव भक्ति में स्थिरता और निष्ठा का प्रतीक है। रोज़ाना शिव आरती का पाठ करने से भक्त को शिव भगवान की कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।

शिव आरती का समय और लंबाई क्या होनी चाहिए?

शिव आरती का सबसे अच्छा समय सायंकालीन होता है, जब सूर्यास्त हो रहा होता है। आप इसे शाम के समय, लगभग सूर्यास्त के 30 मिनट पहले शुरू कर सकते हैं। इसके अलावा, शिव आरती की लंबाई आमतौर पर 5-10 मिनट होती है।

शिव आरती को कौन-कौन पठा सकता है?

शिव आरती को कोई भी व्यक्ति पठा सकता है जो शिव भक्त है। इसमें कोई विशेष अटकल नहीं है और यह सभी शिव भक्तों के लिए समर्पित है। बच्चे, युवा, बुजुर्ग, सभी वर्गों के लोग शिव आरती का पाठ कर सकते हैं।

शिव आरती की भक्ति को बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए?

शिव आरती की भक्ति को बढ़ाने के लिए आप निम्नलिखित कार्यों को कर सकते हैं:

  • नियमित रूप से शिव आरती का पाठ करें।
  • शिव चालीसा, शिव स्तोत्र या शिव मंत्रों का जाप करें।
  • शिव मंदिर में जाकर पूजा करें और अर्चना करें।
  • शिव पूजा और व्रत का पालन करें।
  • शिव जी के गुणों और महत्व के बारे में अध्ययन करें और उन्हें समझें।

क्या शिव आरती का पाठ करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं?

शिव आरती का पाठ करने से भक्त की मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। शिव भगवान को समर्पित भक्ति और श्रद्धा से किया गया आरती का पाठ भक्त की मनोकामनाओं की प्राप्ति में सहायता करता है। शिव आरती का पाठ करने से भक्त को चिंताओं, संकटों और दुःखों से मुक्ति मिलती है और उन्हें आत्मिक शांति और सुख की अनुभूति होती है।

निष्कर्ष

शिव आरती एक महत्वपूर्ण पूजा विधान है जो भक्तों को शिव भगवान के पास ले जाने और उनके साथ आनंदित और प्रसन्न होने का अवसर देता है। यह आरती भक्तों को मानसिक शांति, आत्मिक विकास, और मनोकामनाओं की पूर्ति का माध्यम बनाती है। इसलिए, हम सभी को शिव आरती को नियमित रूप से पाठ करके भगवान शिव के आदर्श जीवन को अपनाने का प्रयास करना चाहिए।

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